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मुझे भूतो से डर लगता है 😢

मै जब भी अकेला होता हू इधर उधर की अबाजे सुनता हूँ मेरा मन घबरा जाता है अक्सर ये तब होता है जब मेरे आश पास कोई नही होता या रात का बक्त होता है तब मुझे ऐसा लगता है मेरे आश पास कोई है जो मुझे छुपकर देख रहा है कभी कभी मै ईतना डर जाता हूँ पसीने भी आ जाते है मै बिना हिले डुले लिहाफ़ मै मुँह घुसाकर लेट जाता हूँ,, मेने कई बार भूत-प्रेत को महसूस किया है,, जगह-जगह पर टोटके देखे है,, लोगो के सर पर भूत आते देखे है,, अपने आस पास के लोगो को भूतो के बारे में बाते करते सुना है। चाहे लोग कुछ भी कहे मुझे पक्का बिशबास है भूत होते है,, पर इसकी बजाह से मैं रात को पढ़ भी नही पाता दिन मैं मुझे टाईम नही मिलता,, मेने इस बारे मैं एक दोस्त से बात की उसने बताया,, तुम्हे लाख बजाह मिल जाऐंगी की भूत होते है, और लाख बजाह ही मिल जाऐंगी की भूत सिर्फ मन का एक बहम है  😴 तुम दोनो में से किसी भी एक चीज को चुन सकतो हो। "पर मुझे पक्का बिशबास है, भूत होते है अब बताऔ मैं क्या करूँ" 😈 उसने बताया,, अगर तुम मानते हो भूत है,, तो तुम मान सकते हो इसमें कोई परेशानी नही है 😛 लेकिन जब भूत तुम्हारे स

एक शर्मीले लड़के की आत्मकथा।

मैं बचपन से ही बाकी सब से अलग हूँ,

बचपन में शायद मै इतना नही शर्माता
था, शायद बहुत ही कम शर्माता था,

घर बाले कहते थे, सबसे तमीज से बात करो,ये करो बो करो अगेरा बगेरा मैं हर बक्त Confuse रहता था अंदर ही अंदर पता नही क्या क्या सोचता रहता था, उम्र भी शायद जब मेरी 10,11 की होगी या इससे ज्यादा या कम, पर अंदर ही अंदर मैं पता नही क्या बोझ उठाय रहता था, कि ये करना है, ये नही करना है,

कभी किसी को कुछ नही बोलता, बस अंदर ही अंदर रोता रहता, ऐसे ही मैं 15 का हो गया,
पर पता नही क्या क्या हरकते करता था, कभी भी घर से बाहर नही निकलता, ऐसे ही पूरे दिन बर घर में पड़ा रहता था, सोचता रहता था।

मैं ऐसा क्यु हूँ, इतना शर्मता क्यु हूँ, सब कहते थे तू तो लुगाई है,दिनभर घर में पड़ा रहता है, शादी के बाद तू घर में रहेगा तेरी बीबी कमाने जाएगी। 

पता नही क्या क्या मुझे अंदर ही अंदर बड़ा बुरा लगता था, रोना भी आता था, पर क्या करूँ मुझे ऐसा ही बनाया हैं मै ऐसा ही हूँ।

आस पास के लोग भी मेरे-मम्मी पापा से यही कहते थे, आपका लड़का अच्छा है, किसी से फालतू नही बोलता अपने काम से काम रखता है,,

कभी-कभी बो भी यही बोलते, इतना शर्माना भी किस काम का।

पर मम्मी कहती सही है, सही है तू।

पापा भी कहते, थोड़ा बहुत घूमा कर बाहर की दुनिया भी देख, बरना लोग तुझे बेचकर खा जाऐंगे, बहुत चाल फेर है बाहर,

मुझे बहुत शर्म आती थी घर के बाहर जाने में भी,,
मुझे लगता था, हर कोई मुझे ही देख रहा है, हर किसी की नजर मुझ पर टीकी हुई है, ऐसे ही सोच-सोच कर मेरे अंदर डर पैदा होने लगता,,

मैं कैसे भी करके स्कूल आता जाता।

मैं बहुत परेशान था कुछ नही समझ आ रहा था,
पर मुझे ऐसे नही रहना था खुद को बदलना था,

फिर मेने स्कूल मैं दोस्तो से पूछाँ,
मै कैसा लगता हूँ,
भाई साहब एक दम कंटाश लगता है।

मैं फिर रोजाना स्कूल मे क्लास के लड़को से बात करता था,,
अंदर ही अंदर जान निकलती रहती थी,

फिर भी एक दो लड़को से बात करता रहा,,

और लड़कियो को तो देखते ही दिमाग के पूर्जे काम करना बंद कर देते थे।

मैं लड़को से पहले भी बात करता था, पर सिर्फ दो-चार से,

मेने फिर धीरे धीरे बात करनी शुरू की,,

अब मैं बाहर तो बोल लेता था,
मगर घर के आस-पास किसी से नही बोलता था।
मेने कुछ सोच रखा था, बस बाहर बोलुँगा घर मे नही।

बाहर भी बहुत लुल तरीके से, सिर्फ जानते हुऔ से।

पर फिर हमारे स्कूल की छुट्टिया पड़ गई और मैं पहले जैसा हो गया।

अब मुझे और शर्म आने लगी थी।

मेने फिर से बही हरकते की,,
अब भी शर्माता रहा,,

क्योकी हम घर बदलने बाले थे,,
मेने सोचा अब मै बही जाकर खुद को पूरा बदलुँगा।
यही सोचते सोचते काफी दिन निकल गए।

शुरू-शुरू मेने नए घर पर बहुत आखरी काटी क्योकी मैं खुद को बदलना चाहता था,, पर कुछ दिन बाद मैं बही बन गया,,
अब मैं पहले से कम शर्माता था।

पर धीरे-धीरे मेरी शर्म बड़ती जा रही थी,
मै पहले जैसा होता जा रहा था,,

मेने सोचा अब तो बदलना ही होगा,
मेरा नया स्कूल था,
मैं स्कूल मैं सबके पास जाता था, बोलता रहता था,,
ये लड़को का स्कूल था,, इसलिए मै कम शर्माता था,,

मैं बोलता रहा बोलता रहा
फिर मेने आखरी काटनी शुरू कर दी,,

अब बाले Tution के सर मुझसे परेशान थे,
मुझे डाँटते थे,, कहते थे कितना बोलता है,, शाँत रहा कर,, पड़ने पर ध्यान दें।

ये सब सुनकर मुझे बड़ी खुशी होती थी।
कि जो मैं चाहता था, बो मैं बन गया।

अब तो मम्मी भी कहती थी इतनी नोटंकी क्यु दिखाता है। पहले तो किसी से बोलता भी नही था, जब देखो कैसे करता है।

पहले मैं खुदसे परेशान था,, पर अब मुझे मजा आ रहा था।

मै ऐसे ही कुछ दिन रहता रहा।
Hair Style, कपड़ो का Style, बात करने का Style, चलने का Style सब बदल दिया,,
अबाज बहुत हल्की और पतली थी,,
तो आबाज तेज और हल्की भारी की,

फिर मैं बहाँ गया जहाँ मैं पहले रहता था, तो कोई पहचान ही नही रहा, सब हैरान थे,

मैं पहले से बिल्कुल बदल गया।

फिर मै ऐसे ही सोचता रहा,

यार मैं लोगो के बारे में सोचता था, कि बो मेरे बारे मे सोच रहै है, किसी को तो अपनी परेशानियो से ही फुरसत नही है,, लोगो का ध्यान तो कहीं और ही रहता है। मैं बेबजहा परेशान था,,

फिर मेने आखरी काटनी थोड़ी कम की,,

फिर मेने Decide किया जो मेरा अंदर से मन करेगा मैं बो करूँगा, जिसमें मुझे खुशी मिलेगी मैं बो करूँगा,,

अब मैं दिनभर घर में रहता हूँ,,

चीखने का मन करता है, चीखता हूँ, शाँत का तो शाँत,, जैसा मन बैसा करता हूँ।

मैं बचपन से बहुत बड़ी गलतफेमी में फँसा था,,
मैं लोगो की परबाह कर रहा था,,
पर अब मैं बही करता हूँ, जो सही है, और मेरा मन है।

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