काफी दिनो से लगातार ठंड पड़ रही थी,,
पूरे जंगल से लेकर पास के गाँब तक हर जगह कोहरा ही कोहरा था, कुछ भी दिखाई नही दे रहा था,
सब परेशान थे, सिर्फ एक सेठ को छोड़कर क्योकि उसके पास घर को गर्म करने बाली Ac थी,,
बहाँ के कुछ लोगो की सेठ की गर्म Ac पर गंदी नजर थी, बो उसे चुराकर ठंडो में गर्मियो को मजा लेने चाहते थे, इसलिए उन्होने कई बार सेठ के ऊपर हमला भी किया,, पर नकाम रहे।
ठंडे हर जगह थी,, सिर्फ इंसान ही नही जंगल में जानबर भी ठंड से परेशान थे,
एक शेर कई दिनो से भूखा था,, उसकी हालत मरी-मरी सी थी, उससे सही से चला भी नही जा रहा था।
जंगल में एक भी जानबर दिखाई नही दे रहा था,, पूरा जंगल सुमसान और कोहरे से डका हुआ था, शेर को कोई भी जानबर शिकार के लिए नही मिल रहा था।
रात हो चुकी थी,, आज शेर पाँच दिन से भूखा था,
शिकार की तलाश में चलते-चलते शेर गाँब की तरफ निकल गया,
आज पूरे गाँब की बत्ती गुल थी,
इसलिए शेर बिना किसी की नजर में आए सेठ के घर में पहुँच गया,,
सेठ शेर को देख रहा था,, उसे लगा उसका कुत्ता खुलकर यहाँ आ गया है,,
सेठ ने अंधेरे में इधर-उधर से रस्सी निकाली,
अपना कुत्ता समझकर शेर के गले में रस्सी बाँधकर कुंदे में बाँध दी।
बेचारा शेर बैसे ही मरा-मरा था, बो चुपचाप बिना हरकत किए सो गया।
सुबह को सेठ उठा,, तो उसकी तो जान निकल गई,,
बो चीखने लगा, चीख-चीख कर रोने लगा।
सभी लोग इक्ठठे हो गए,,
सबके सब डरने लगे,
सभी सोच रहे थे, सेठ तो बड़ा हिम्मत बाला है, शेर पालता है।
सभी सेठ की तारीफ करने लगे,,
सेठ जी आप तो बड़े दमदार हो शेर पालते हो,
ऐसे ही बड़ी-बड़ी तारीफे सब करने लगे,
सेठ डर भी रहा था, और तारीफो के मारे मरा भी जा रहा था।
सेठ ने हिम्मत करके कहा,, हम सेठ है हम कुछ भी कर सकते है।
थोड़ी-थोड़ी देर में सभी चले गए।
अब सेठ और शेर दोनो अकेले थे।
डर के मारे सेठ भी अलमारी के पिछे छुप गया,,
कमजोर शरीर बाला शेर उठकर खड़ा हो गया, उसकी आँखो में आँसु थे, बो इधर-उधर देख रहा था,
शेर को देखकर लग रहा था, बो शिकार तो दूर एक चुहा भी नही मार पाएगा।
सेठ को उस पर दया आ रही थी,, पर सेठ इतना डरा हुआ था कुछ कर भी नही सकता,
फिर भी हिम्मत करके सेठ आलमारी के पीछे से चीखकर बोला,
तुम्हे क्या चाहिए,
शेर तो जानबर था, बो कैसे बोलता।
सेठ ने हिम्मत की और जानने की कोशिश की शेर को क्या हुआ है, सेठ को लगा इसको जरूर भूख लगी होगी, सेठ डरा-डरा रसोई की तरफ गया, और शेर के लिए भोजन में रात के बचे हुँए पराठे लाया,
शेर को लगा ये आदमी मेरे लिए माँस लेकर आया है,, तो शेर हल्के-हल्के हँसने लगा,
पर सेठ ने दूर से ही शेर के आगे पराठे फेंक दिए।
शेर ने पराठे सूँखे और रोने जैसा मुँह बना लिया।
सेठ बोला,, यही खाले बर्ना मर जाएगा।
शेर उदास था, भूखा भी था, उसने अपने आप को समझाया और रोते-रोते पराठे खाने लगा।
अब रात होने बाली थी,, पूरे दिन तो सेठ उसी अलमारी के पिछे छिपा रहा,
लेकिन अब सेठ घर से निकलकर बाहर गया,, पूरे गाँब के लोग सेठ को देख रहे थे,, और उसकी दिलेरी पर बाते कर रहे थे, कि देखो सेठ तो शेर पालता है, सेठ ऐसा है, सेठ बैसा है।
सेठ ने सोचा अब में शेर को जंगल बापस भेजुँगा तो लोग मुझे कायर समझेंगे,
सेठ ने आज रात और हिम्मत करने कि सोची,
उसने खुद से बोला,
मैं कल बाहर से कुछ लोगो को बुल बाकर इसे जंगल में बापस भेज दूँगा।
अब सेठ ने शेर के लिए माँस लिया और घर जाकर दूर से ही शेर के आगे फेंक दिया,
खाना खाने के बाद शेर के अंदर दम आ गया, बो जोर-जोर से दहाड़ने लगा,, सेठ डरने लगा।
पर सेठ ने और हिम्मत की और चुपचाप बहीं बैठा रहा।
अब शेर भी शाँत था, शेर भी शांती से बैठा रहा।
रात के कुछ बारह बजे थे,
गेट खटकने के आबाज आने लगी, कुछ खुसुर-फुसर की भी आबाज थी,
पैरो की आबाजे भी थी, अचानक से और तेजी से दरबाजा टूट गया,, बाहर से छः-सात आदमी अंदर आ गए।
और सेठ के ऊपर हमला करने लगे,,
"बो सभी चोर थे जो Ac चुराने आए थे"
शेर ने हल्की सी ही जान में पूरी रस्सी तोड़ दी, और जोर से एक दहाड़ लगाई, सारे लोग डरके मारे इधर-उधर भागने लगे,
कुछ गिर गए कुछ अलमारी के ऊपर चढ़ने लगे बो भी गिर गए सब ऐसे ही इधर-उधर भागकर बाहर को निकल गए,, शेर ने किसी को भी नुकसान नही पहुँचाया।
शेर सेठ के पास आया, सेठ करके मारने काँपने लगा और आँखे बंद करके खड़ा हो गया।
शेर चुपचाप और प्यार से सेठ के पैरो में बैठ गया,
सेठ ने हल्के-हल्के आँखे खोली तो शेर को अपने पैरो के पास देखकर पीछे को भाग गया।
पर शेर बिल्कुल मासूम बच्चे कि तरह था, प्यारा सा मासूम सा, सेठ को भी लगा ये अच्छा है,, मेरा बफादार है, मुझसे दोस्ती करना चाहता है,,
सेठ ने शेर को छुआ, तब भी शेर शाँत था,,
बो दोनो दोस्त बन चुके थे,,
अब बो एक साथ रहने लगे,,
पर बो जो सेठ का कुत्ता था,, जिसे समझकर सेठ ने शेर को बाँधा था, उसका कुछ पता नही चला,
हो सकता है बो डरके कहीं भाग गया होगा,
या शेर ही उसे खा गया होगा।